कोरबा – जिले के कुसमुंडा SECL क्षेत्र ग्राम खोडरी ड्रोन कैमरा से सीमा क्षेत्र की प्रक्रिया की गई पूरीएसईसीएल प्रोजेक्ट डिजिकोल के तहत भूमि अधिग्रहण और प्रबंधन प्रणाली के सफल कार्यान्वयन के माध्यम से डिजिटल ट्रांसफोरमेशन को बढ़ावा दे रही है। इस पहल से भारत सरकार के विशेष अभियान 4.0 के तहत डिजिटलीकरण और प्रक्रियाओं को सरल बनाने पर जोर दिया जा रहा है। प्रबंधन के समक्ष पुरानी जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया में रिकार्ड रखना काफी चुनौती पूर्ण काम था। रिकार्ड निकालने में दिक्कत का सामना करना पड़ता था। करें एक क्लिक में मिलेगी भू-विस्थापितों की कुंडली, बन रहा डिजिटल रिकार्ड,एसईसीएल खदान प्रभावित खोडरी पहला डिजिटल अधिग्रहण गांव बना, ड्रोन कैमरा से सीमा क्षेत्र की प्रक्रिया की गई पूरीअधिग्रहित जमीन में मिट्टी उत्खनन करती सावेल मशीन, फाइल तस्वीर सरकार के विशेष अभियान 4.0 डिजिटलीकरण और प्रक्रियाओं को सरल बनाने पर जोर।प्रबंधन के समक्ष पुरानी जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया में रिकार्ड रखना काफी चुनौती पूर्ण काम रहा है ।भू-विस्थापितों के पुनर्वास, रोजगर व मुआवजा के कार्यों में अनावश्यक विलंब नहीं होगा।
SECL कुसमुंडा क्षेत्र द्वारा ग्राम खोडरी व ग्राम पाली को बसावट देने की तैयारी ,नक्शा तैयार कर तस्वीर साझा की गई 👇👇👇

साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड (एसईसीएल) डिजिटल जमीन प्रबंधन प्रणाली (एलएएमएस) से अब भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया को सरल कर रही है। एक क्लिक में अधिग्रहण की गई भूमि की संपूर्ण जानकारी मिल जाएगी। कुसमुंडा खदान के प्रभावित गांव खोडरी से इस प्रक्रिया को शुरू किया गया है। इसके बाद मेगा प्रोजेक्ट दीपका व गेवरा में भी इसे लागू किया जाएगा। डिजिटल किए जाने से रिकार्ड रखने में आसानी होगी। ड्रोन कैमरे से अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी की गई है।गांव के रिकार्ड डिजिटल के रूप में रखे जाएंगे भविष्य में गेवरा व दीपक खदान के साथ ही कुसमुंडा खदान का भी विस्तार होना है। ऐसी स्थिति में जिन गांव की जमीन अधिकृत की जाएगी, उन गांव के रिकार्ड डिजिटल के रूप में रखे जाएंगे, ताकि नौकरी व मुआवजा देते वक्त किसी तरह की आपत्ति आने पर ग्रामीणों की समस्याओं का त्वरित निराकरण किया जा सके।सीएमडी- बोर्ड आनलाइन प्लेटफार्म है। इसके जरिेए एसईसीएल के मुख्यालय व परिचालन क्षेत्रों में विभिन्न कार्यो व प्रोजेक्ट की निगरानी की जा सकती है। इसके माध्यम से लंबित कार्यों का अवलोकन आसानी से किया जा सकता है।भूमि अधिग्रहण का डिजिटल रिकार्ड तैयार एसईसीएल ने कुसमुंडा के प्रभावित गांव खोडरी की भूमि अधिग्रहण का डिजिटल रिकार्ड तैयार कर लिया है। इस गांव 120 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित की गई है।इस जमीन से लगभग 500 लाख टन कोयले का उत्पादन होने का अनुमान है।210 खातेदार प्रभावित हो रहे। इसमें 113 को रोजगार की पात्रता दी जानी है।काश्तकारी जमीन का 16 लाख 28 हजार 877 रुपये प्रति एकड़ के दर से मुआवजा तैयार किया गया है। इस प्रणाली से आवश्यकता पड़ने पर एक क्लिक में किसी भी भू-विस्थापित या किसी भी गांव का ब्यौरा देखा जा सकेगा। इससे भू-विस्थापितों के पुनर्वास, रोजगरा व मुआवजा के कार्यों में अनावश्यक विलंब नहीं होगा।प्रक्रिया होगी सरल व पारदर्शीभू-अधिग्रहण प्रक्रिया में तेजी व पारदर्शिता के लिए यह डिजिटल प्रणाली तैयार किया गया है। इससे एंड-टू-एंड वर्कफ्लो प्रबंधन को बढावा मिलेगा और भूमि मालिकों के दावों का तेजी से निपटान हो सकेगा। यह प्रणाली विशेष अभियान 4.0 के मुख्य उद्देश्यों को पूरा करेगी। साथ ही भू- अधिग्रहण प्रक्रिया को सरल बनाएगी। भूमि रिकार्ड को डिजिटल बनाने से प्रक्रियाओं में स्वचालिता आएगी। साथ ही महत्वपूर्ण भूमि संबंधी आंकड़ों की रीयल-टाइम में उपलब्धता सुनिश्चित होगी। इससे कागजी कार्रवाई की आवश्यकता समाप्त हो जाती है।मुख्य विशेषताएं- भूमि पार्सल सीमाओं का दृश्यीकरण- भूमि मूल्यांकन- डेटा विश्लेषण रिपोर्ट डैशबोर्ड- विवाद और भूमि पट्टा प्रबंधन- अतिक्रमण का पता लगाना और ट्रैकिंगआधुनिक तकनीक का यह भी उपयोगएसईसीएल की कार्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (सीएसआर) परियोजनाओं को ट्रैक करने के लिए एक एकीकृत मंच प्रदान करता है। इसी तरह एसईसीएल कर्मचारियों के लिए एक स्वास्थ्य ऐप, जो बाहरी अस्पतालों में आनलाइन रेफरल की सुविधा देेगा। निविदाओं, कार्य आदेशों और अनुबंधों के लिए एक आनलाइन स्रोत होगा। कानूनी मामलों की मानिटरिंग सिस्टम जो हितधारकों को एसईसीएल क्षेत्रों में लंबित और समाप्त कानूनी मामलों का जानकारी देता है।