कोरबा : केंद्रीय कोयला और खनन मंत्री जी किशन रेड्डी अपने प्रथम प्रवास पर आज कोरबा जिले के गेवरा पहुंचे। हेलीपैड पर स्वागत के बाद में अपने काफिला सहित गेवरा माइंस के व्यू प्वाइंट्स पहुंचे, जहां पर उत्पादन और अन्य गतिविधियों का निरीक्षण किया। काफी देर तक खदानों का निरीक्षण करने के बाद कोयला मंत्री एसईसीएल प्रबंधन के साथ बैठक की और विभिन्न कार्यों की समीक्षा ली। कोयला मंत्री के दौरे को लेकर प्रबंधन ने यहां पर खास तैयारी रही। कोयला मंत्री रेड्डी व्यू प्वाइंट से खदान की स्थिति जाना। वहीं, कामगार साथियों से संवाद किया। शोवेल शॉवेल ऑपरेटर, डंपर ऑपरेटर से खदान में मिले और उनके साथ केबिन में बैठकर मशीन का संचालन देखा।

कोयला मंत्री के सामने भू-विस्थापित एवं रोजगार विरोधी नीतियों को बनाने वाले अधिकारियों को काले झंडे दिखाने से पहले पुलिस ने रोका। पुलिस की देखरेख में उन्हें सीनियर रिक्रेशन क्लब में रखा गया। पुलिस प्रशासन ने कोयला मंत्री से मिलकर बात रखने का दिया आश्वाशन दिया गया। छत्तीसगढ़ किसान सभा और भूविस्थापित रोजगार एकता संघ के नेतृत्व में कोयला मंत्री के गेवरा आगमन पर एसईसीएल के सीएमडी, बोर्ड मेंबरों के दौरे का जबरदस्त विरोध करने की तैयारी कर रहे थे। पुलिस प्रशासन ने मांगों को रखने और ज्ञापन सौंपने के लिए समय प्रदान करने का आश्वासन दिया है।

कोरबा में रोजगार एकता संघ के बैनर तले भू-विस्थापित प्रदर्शन कर रहे हैं। केंद्रीय कोयला एवं खदान मंत्री किशन रेड्डी के सामने भू-विस्थापित काला झंडा दिखाने वाले थे। इससे पहले पुलिस ने उन्हें पकड़कर एल रीक्रिएशन क्लब में बंद कर दिया। किसान सभा के प्रदेश संयुक्त सचिव प्रशांत झा ने कहा कि भूविस्थापितों के रोजगार और पुनर्वास की मांग को लेकर इस क्षेत्र में लंबे समय से आंदोलन चल रहा है। कुसमुंडा में भू-विस्थापित रोजगार एकता संघ के बैनर पर अनिश्चितकालीन धरना को 1255 दिन पूरे हो चुके हैं।

भू-विस्थापितों की समस्या को लेकर चर्चा के लिए समय मांगने पर सीएमडी और डीपी द्वारा समय भी नहीं दिया जाता है। कोयला मंत्री के साथ सीएमडी, और एसईसीएल के अन्य अधिकारियों के साथ यह दौरा कोयला उत्पादन को बढ़ाने के उद्देश्य से हो रहा है, क्योंकि पिछले दो सालों से इस क्षेत्र में कोयला उत्पादन लगातार बाधित हो रहा है और उत्पादन लक्ष्य पूरा नहीं हो पा रहा है। इस दौरे की खबर लगते ही भूविस्थापित आक्रोशित हो गए। उनका कहना है कि रोजगार दिए बिना कोयला उत्पादन के लक्ष्य को पूरा नहीं होने देंगे।