बिलासपुर स्थित एसईसीएल मुख्यालय में ऊर्जाधानी भूविस्थापित किसान कल्याण समिति के साथ सीएमडी और बोर्ड सदस्यों की उच्च स्तरीय बैठक हुई। बैठक में भूविस्थापितों की 12 सूत्रीय मांगों पर चर्चा हुई और कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए।
पुनर्वास नीति लागू: केंद्रीय पुनर्वास नीति 2013 को लागू करने की पहल, जिससे बेहतर पुनर्वास और रोजगार सुनिश्चित होगा।
रोजगार में आरक्षण: आउटसोर्सिंग कंपनियों में 80% भर्ती भूविस्थापितों के लिए आरक्षित करने हेतु एनआईटी में संशोधन।
कौशल विकास: भूविस्थापितों के लिए कौशल उन्नयन कार्यक्रम और स्वरोजगार के लिए सहयोग।
पुनर्वास ग्रामों का विकास: सर्वे के आधार पर पुनर्वास ग्रामों में विकास कार्य।
स्वास्थ्य सुविधा: गांव-गांव में मेडिकल कैंप का आयोजन।
अतिरिक्त मुआवजा: कोरबा और रायगढ़ में पुनर्वास के लिए प्रति परिवार अतिरिक्त तीन लाख रुपये।
शिक्षा में आरक्षण: डीएवी केंद्रीय स्कूलों में भूविस्थापितों के बच्चों के लिए आरक्षण।
कानूनी कार्रवाई पर रोक: अनावश्यक कानूनी कार्रवाई नहीं होगी, और मासिक समस्या समाधान शिविर आयोजित होंगे।
बता दें कि एक अप्रैल को समिति ने एसईसीएल मुख्यालय में आक्रोश रैली और प्रदर्शन के साथ 12 सूत्रीय मांगपत्र सौंपा था। 16 अप्रैल को कोरबा, कुसमुंडा, गेवरा, दीपका, और रायगढ़ क्षेत्र की खदानों में ऐतिहासिक आंदोलन हुआ, जिसमें खदान और कोयला परिवहन ठप होने से प्रबंधन को बैठक के लिए मजबूर होना पड़ा। बैठक में कोरबा, कुसमुंडा, गेवरा, दीपका, रायगढ़, हसदेव, चिरमिरी, और सोहागपुर क्षेत्रों के 47 भूविस्थापित प्रतिनिधि शामिल हुए।
दो चरणों में हुई चर्चा में सभी मांगों पर सकारात्मक रुख दिखा। 2021 में भी संगठन के आंदोलन के बाद नीति में संशोधन हुआ था, और अब पुनः संशोधन की उम्मीद है। भूविस्थापित कॉपरेटिव के लिए पेट्रोल पंप और मसाला उद्योग स्थापित करने की योजना पर भी सहमति बनी, जिससे परिवारों को आत्मनिर्भरता में मदद मिलेगी।