
जन जागरण चाहे किसी भी क्षेत्र में हो उसके नतीजे हमेशा ही अच्छे आते हैं। इसके व्यापक प्रभाव भी पड़ते हैं। भारत विकास परिषद और मेडिकल कॉलेज की कोशिश से नेत्रदान और देहदान के लिए पिछले दिनों की गई जन जागरूकता से अच्छी तस्वीर बन रही है। इसी कड़ी में कोरबा के चैनपुर बसाहट क्षेत्र निवासी एक उम्रदराज नागरिक का शरीर शांत होने पर उसे मेडिकल कॉलेज को समर्पित कर दिया गया। डीन ने मृतक के परिवार को शांत होना देने के साथ उनके प्रति आभार जताया है।
आर्थिक रूप से कमजोर परिवार चैनपुर बसाहट में निवासरथ है। इसके मुखिया सुजान सिंह का पिछली रात निधन हो गया। मृतक के दत्तक पुत्र बहसराम ने बताया कि पिता ने पहले ही देहदान का संकल्प लिया था। इसलिए इच्छा का सम्मान करते हुए उनके पार्थिव शरीर को मेडिकल कॉलेज को सौंप दिया गया है।
मृतक की पत्नी शकुंतला ने बताया कि पिछली रात्रि पति का निधन हो गया। इसके बाद परिवार ने मेडिकल कॉलेज को सूचना दी गई। फिर जरूरी प्रक्रियाओं के बाद शव सौंपा गया। मुनीर ट्रस्ट के लिए काम करने वाले एक प्रतिनिधि ने बताया कि सुजान सिंह हमसे जुड़े हुए थे। देश में कई अच्छे काम हम लोग कर रहे हैं।
मेडिकल कॉलेज कोरबा के अधिष्ठाता डॉक्टर कमल किशोर सहारे ने बताया कि एक व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसका शव मेडिकल कॉलेज को प्राप्त हुआ है। एमबीबीएस के छात्रों के लिए शरीर रचना विज्ञान की पढ़ाई में ऐसे शव उपयोगी होते हैं। 55 वर्ष तक के ऐसे व्यक्ति जो किसी प्रकार की बीमारी से ग्रसित नहीं होते और उनकी मृत्यु हो जाती है तो उनके बहुत सारे अंग दूसरे जरूरतमंद लोगों में प्रत्यारोपित कर दिए जाते हैं।
यहां बताना आवश्यक होगा कि पिछले दिनों भारत विकास परिषद की नई कार्यकारिणी के गठन के बाद नेत्रदान और देहदान को लेकर जन जागरण प्रारंभ किया गया। पूरी टीम इस काम में लगी हुई है ताकि समाज में बनी भ्रांतियां को दूर किया जाए। माना जा रहा है कि जन जागरूकता लोगों के बीच आ रही है। मेडिकल कॉलेज में पार्थिव शव के साथ प्रयोग करते हुए भविष्य में डॉक्टर बनने वालों से अपेक्षा करनी होगी कि वह व्यवसाय के दौरान सेवा और मानवता जैसे गुना को ध्यान में जरूर रखेंगे।