भारत के पहले सौर मिशन आदित्य-एल1 ने सूर्य के बाहरी वातावरण और उसके प्रभावों को लेकर एक ऐतिहासिक खोज की है। इस मिशन ने सूर्य के कोरोना में हो रही अद्भुत गतिविधियों का अध्ययन कर नई वैज्ञानिक समझ विकसित की है। इसरो द्वारा 2 सितंबर 2023 को लॉन्च किए आदित्य एल-1 को 1.5 मिलियन किलोमीटर दूर पृथ्वी और सूर्य के बीच पहले लैग्रेंज प्वाइंट (एल1) पर स्थापित किया गया था। इसके प्रमुख उपकरण विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (वीईएलसी) ने सूर्य के कोरोना का गहन अध्ययन किया है।
कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई) की अद्भुत खोज
16 जुलाई 2024 को वैज्ञानिकों ने सूर्य से निकली एक विशाल सौर प्लाज्मा विस्फोट यानी कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई) को रिकॉर्ड किया। इस घटना के दौरान सूर्य की कोरोना में “कोरोनल डिमिंग” नामक घटना देखी गई, जिसमें एक क्षेत्र की चमक 50% तक कम हो गई। यह डिमिंग करीब छह घंटे तक बनी रही, जिससे सूर्य की गतिशील प्रक्रियाओं का गहन अध्ययन संभव हुआ। इस सीएमई के कारण सूर्य के कोरोना का तापमान लगभग 30% बढ़ गया और इसके साथ ही क्षेत्र में हलचल भी तेज हो गई। प्लाज्मा की गति 24.87 किमी/सेकंड तक मापी गई, जो सूर्य की तीव्र चुंबकीय गतिविधि का संकेत देती है।
डॉप्लर वेग से मिली अहम जानकारी
वहीं डॉप्लर वेग मापन ने बताया कि सीएमई का प्लाज्मा रेडशिफ्ट हो रहा था, यानी यह सूर्य से दूर जा रहा था। इसकी गति 10 किमी/सेकंड थी, जो सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र द्वारा इसे मोड़ने का संकेत देती है। यह जानकारी भविष्य में सीएमई की यात्रा और पृथ्वी पर उसके प्रभाव को समझने में मदद कर सकती है। सूर्य की कोरोना की यह गतिविधियां अंतरिक्ष मौसम को प्रभावित करती हैं, जो सैटेलाइट्स, रेडियो संचार और बिजली ग्रिड पर बड़ा प्रभाव डाल सकती हैं। आदित्य-एल1 की ये खोजें वैज्ञानिकों को ऐसी घटनाओं की बेहतर भविष्यवाणी करने में मदद करेंगी।