
कोरबा – जिले के एसईसीएल कुसमुंडा क्षेत्र अन्तर्गत गेवरा बस्ती खोडरी मार्ग पर करोड़ों रूपये की लागत से कांक्रीट सड़क का निर्माण कराया गया है। जो बनने के तुरंत बाद उखड़ने लगी थी,आज स्थिति यह है कि इसमें सैकड़ों गढ्ढे हो गए हैं। ये एक एक गड्ढे एसईसीएल सिविल विभाग के अधिकारियों की भ्रष्टाचार को कहानी बयां कर रहे हैं।क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों,ग्रामीणों द्वारा इस मार्ग को बनाने लगातार आंदोलन किया जाता रहा है।
आखिरकार एसईसीएल द्वारा इसे बनाने टेंडर जारी किया गया। जैसे तैसे यह सड़क बनी पर बनते ही उखड़ना शुरू हो गई। निश्चित तौर पर इस सड़क के निर्माण में बड़ा भ्रष्टाचार हुआ है, टेंडर लेने से लेकर टेंडर देने तक पैसों का बंदरबाट हुआ है, तभी सड़क पर कोई निरीक्षण करने एसईसीएल के अधिकारी नहीं पहुंचे ,गेवराबस्ती की सड़क बनने से क्षेत्र के लोगों में काफ़ी उत्सुकता थी, लेकिन टेंडर जारी होने से लेकर बिल निकालने तक सिविल विभाग के बाबु से लेकर अधिकारियों तक पहुंचे मोटे कमीशन ने सड़क की कमर तोड़ दी है। कमीशन देने के बाद ठेकेदार को भी कमाना है ऐसे गुणवत्ता से समझौता तो बनता ही हैं। और यही समझौता लोगों के लिए मुसीबत बन हुआ है। वर्तमान में जिस तरह से एसईसीएल कुसमुंडा के सिविल विभाग में युवा बड़ी बड़ी जिम्मेदारी सम्हाल रहे है लगा था भ्रष्टाचार रहित कार्य होंगे,विकास में तेजी आएगी लेकिन वे भी सिविल विभाग की भ्रष्टचारी संस्कृति से जुड़ कर भ्रष्टाचार की मुख्यधारा में समाहित हो गए है। कोल इंडिया के द्वारा सामाजिक उत्तरदायित्वों को निभाने जिस तरह से पैसा बहाया जा रहा है उससे क्षेत्र में विकास की एक पूरी किताब लिखी जा सकती है परंतु विभाग में बैठे भ्रष्टाचारी अधिकारी इस विकास की किताब को दीमक की तरह चाट रहे हैं। यह जांच का बड़ा विषय है। गेवरा बस्ती खोडरी मार्ग के अलावा गेवरा बस्ती धर्मपुर रोड निर्माण में भी जमकर भ्रष्टाचार हुआ है। ऐसे अगर करोड़ों रुपयों से बनने वाले सड़क अगर महीने भर में उखड़ने लगे तो सभी के कार्यशैली पर सवालिया निशान उठने लाजमी हैं। यह पूर्ण रूप से जांच का विषय है। कोल इंडिया स्तर पर इसकी जांच की जानी चाहिए। करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद कार्य की गुणवत्ता अगर गुणवत्ता विहीन है तो ऐसे कार्य में संलिप्त अधिकारी कर्मचारियों के साथ साथ ठेकेदार पर भी बड़ी जांच उपरांत कार्यवाही होनी चाहिए।